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बता दे कि आम तौर पर घर से बाहर जाने पर या घर में कोई ना रहने पर वहां हर जगह धूल ही धूल जम जाती हैं। ऐसे में जब आप लौटकर सफाई कार्यक्रम का आग़ाज़ करते है तो पूरे घर में धूल ही धूल के कण तैरते हुए नज़र आते है। यही कण आपकी सांस के द्वारा शरीर में जाकर आपको कई रोगों का शिकार बना देते है। शोध के आंकड़े बताते हैं कि हर वर्ष लगभग 43 लाख लोग घर के अंदर की धूल से ही बीमार हो रहे हैं।
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जी हां, घऱ में होने वाले इस डस्ट पॉल्यूशन की वजह से आए दिन लोगों में फेंफड़ों की बीमारियां, और अस्थमा जैसे घातक रोग हो रहे हैं। हम सब जानते हैं कि घर के भीतर मौजूद हवा में भी धूल कण और कीटाणु मौजूद होते हैं। इसलिए घर बनवाते समय सिरेमिक टाइल्स, मार्बल और पत्थर लगाने की बजाय लकड़ी की फ्लोरिंग का प्रयोग करे।
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इसके साथ ही अपने घर के अंदर पड़े बेकार सामान को फेंक दें या बेच दें, घर में कबाड़ बिल्कुल भी ना रखे। साथ ही घर में इको फ्रेंडली सिस्टम लगवाए, ताकि ऊर्जा की खपत को कम किया जा सके। सौर ऊर्जा का भरपूर प्रयोग किया जाए। जब भी घर में आप साफ सफाई करते हैं तो पहले कीटाणुरोधी मास्क और दस्ताने पहन ले। उसके बाद ही घऱ की धूल झाड़ें। साथ ही महीने में एक बार सफाई करने की बजाये हर संडे को घर की धूल झ़ाड़ने का कार्यक्रम रखें। अपनी सेहत के लिए आप इतना तो कर ही सकते हैं। या फिर आलस का शिकार होकर वही प्रचलित जुमला कह सकते हैं कि एक दिन तो इसी धूल में मिलना है, फिर काहे को इतनी माथा पच्ची करनी। फैसला अब आपके हाथ में है।
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